CrPC धारा 125: भरण-पोषण का कानून
1. परिचय
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 एक कल्याणकारी प्रावधान है जिसका उद्देश्य है कि कोई भी महिला, बच्चा या माता-पिता भूखा न रहे। यह प्रावधान न्यायिक रूप से पति या पुत्र को यह दायित्व देता है कि वह अपने परिजनों को उचित जीवन स्तर प्रदान करे यदि वे स्वयं ऐसा करने में असमर्थ हों।
2. पात्रता और सीमाएँ
इस धारा के अंतर्गत निम्नलिखित व्यक्तियों को भरण-पोषण का अधिकार प्राप्त होता है:
- पत्नी – चाहे वैवाहिक संबंध अस्तित्व में हों या विवाह विच्छेद हो गया हो।
- नाबालिग संतान – चाहे वैध हो या अवैध।
- विकलांग या असमर्थ वयस्क संतान।
- वृद्ध माता-पिता।
2.1 अयोग्यता:
- पत्नी यदि व्यभिचार (adultery) करती है।
- पत्नी बिना उचित कारण के पति के साथ रहने से इनकार करती है।
- आपसी सहमति से पृथक जीवन जी रही हो।
3. सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्णय
Kamala v. M.R. Mohan Kumar (Supreme Court, 2018)
मुद्दा: विवाह का प्रमाण कितना आवश्यक है?
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि धारा 125 CrPC की कार्यवाही "summary" प्रकृति की होती है, इसलिए विवाह का कठोर प्रमाण आवश्यक नहीं।
– Supreme Court, Kamala v. Mohan Kumar, 24 Oct 2018
Dwarika Prasad Satpathy v. Bidyut Prava Dixit (Supreme Court, 1999)
मुद्दा: क्या साधारण साक्ष्य पर्याप्त हैं?
निर्णय: कोर्ट ने कहा कि यदि पति-पत्नी के रूप में साथ रहने के प्रमाण हों, तो भरण-पोषण के लिए विवाह का कठोर प्रमाण जरूरी नहीं।
– Supreme Court, 1999
Shah Bano Begum v. Mohd. Ahmed Khan (Supreme Court, 1985)
मुद्दा: मुस्लिम तलाकशुदा महिला को भरण-पोषण?
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि भले ही पत्नी मुस्लिम हो, यदि वह असहाय है तो पति को भरण-पोषण देना होगा।
– Justice Y.V. Chandrachud, CJI, Shah Bano case (1985)
Badshah v. Urmila Badshah Godse (Supreme Court, 2014)
मुद्दा: क्या धोखे में रखकर की गई शादी से उत्पन्न पत्नी को भरण-पोषण मिलेगा?
निर्णय: कोर्ट ने कहा कि यदि महिला को विवाह की वैधता का ज्ञान नहीं था और उसने पति पर विश्वास किया, तो उसे भरण-पोषण मिलेगा।
– Supreme Court, 2014
Chaturbhuj v. Sita Bai (Supreme Court, 2008)
मुद्दा: क्या पत्नी के पास आय होने पर भरण-पोषण से वंचित किया जा सकता है?
निर्णय: कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए पति पर निर्भर है, तो आय होते हुए भी वह भरण-पोषण की हकदार हो सकती है।
– Supreme Court, 2008
भाग 2: हाई कोर्ट निर्णय, Adultery, और Maintenance राशि
4. उच्च न्यायालयों के निर्णय (राज्यवार)
Chhattisgarh High Court – 9 May 2025
मुद्दा: व्यभिचार (Adultery) के आधार पर पत्नी की भरण-पोषण याचिका
कोर्ट: न्यायमूर्ति संजय अग्रवाल
– Chhattisgarh HC, CRR No. 228/2023, Date: 09.05.2025
Delhi High Court – March 2024
मुद्दा: यदि पत्नी के पास अपनी स्वतंत्र आय है, तो क्या उसे maintenance मिलेगा?
निर्णय: कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी की आय पर्याप्त नहीं है, तो उसे maintenance मिलेगा।
– Delhi HC, Crl. Rev. P. No. 489/2023
Bombay High Court – 2023
मुद्दा: लिव-इन पार्टनर को maintenance
निर्णय: यदि साथ रहने का स्पष्ट प्रमाण है, तो पत्नी जैसी स्थिति में महिला को maintenance मिलेगा।
– Bombay HC, Family Court Appeal No. 32/2022
5. व्यभिचार और धारा 125(4) का प्रभाव
धारा 125(4) स्पष्ट करता है कि यदि पत्नी व्यभिचार कर रही हो या पति के साथ रहने से इनकार करती हो (बिना पर्याप्त कारण), तो वह भरण-पोषण की अधिकारी नहीं होगी।
– CrPC Section 125(4)
हालिया न्यायिक दृष्टिकोण में कोर्ट ने जांच की है कि क्या पत्नी के रहन-सहन या सोशल मीडिया प्रमाणों से व्यभिचार सिद्ध होता है।
Madhya Pradesh High Court – 2024
मुद्दा: व्हाट्सएप चैट और फोटो के आधार पर adultery सिद्ध
– MP HC, CRR 341/2023
6. भरण-पोषण की राशि का निर्धारण (Quantum)
सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि:
- भरण-पोषण की राशि पति की मासिक आय का औसतन 25% तक हो सकती है।
- माता-पिता और बच्चे के मामले में अतिरिक्त राशि दी जा सकती है।
- पति के ऊपर पहले से निर्भर लोगों की संख्या, जीवन स्तर और खर्चों का भी ध्यान रखा जाएगा।
– Supreme Court, Rajnesh v. Neha, 2020
Rajnesh v. Neha (Supreme Court, 2020)
मुद्दा: Maintenance के निर्धारण के लिए दिशानिर्देश
– Supreme Court, (2020) 12 SCC 590
भाग 3: केस स्टडी, उपाय और निष्कर्ष
7. केस स्टडी – व्यवहारिक दृष्टिकोण
केस 1: Reena Sharma v. Amit Sharma (Delhi HC, 2023)
तथ्य: रीनाः 12 वर्षों से विवाहित, एक पुत्र के साथ। पति द्वारा तलाक याचिका। पत्नी ने CrPC 125 में ₹30,000 प्रतिमाह की मांग की।
तर्क: पति ने कहा कि पत्नी के पास ट्यूशन से आय है। पत्नी ने कहा वह अस्थायी है।
निर्णय: कोर्ट ने कहा कि पत्नी की आय स्थायी नहीं, ₹20,000 प्रतिमाह maintenance स्वीकृत।
– Delhi HC, 18 Nov 2023
केस 2: Anil Dubey v. State of MP & Anjali Dubey (MP HC, 2024)
तथ्य: पत्नी ने maintenance मांगा; पति ने adultery का आरोप लगाया। पत्नी ने इसे झूठा बताया।
प्रमाण: पति ने WhatsApp चैट, कॉल रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की।
निर्णय: कोर्ट ने कहा कि पर्याप्त प्रमाण मिले हैं; पत्नी की याचिका अस्वीकृत।
– MP HC, CRR 137/2024
केस 3: Firoz Khan v. Asiya Begum (Telangana HC, 2022)
तथ्य: मुस्लिम तलाकशुदा पत्नी ने धारा 125 के अंतर्गत maintenance की मांग की।
तर्क: पति ने कहा मुस्लिम महिला अधिनियम के तहत केवल "iddat" तक ही देयता है।
निर्णय: कोर्ट ने शाह बानो निर्णय का हवाला देकर कहा – CrPC 125 सभी धर्मों पर लागू है। ₹5,000 प्रतिमाह स्वीकृत।
– Telangana HC, 15 July 2022
8. Remedies: जब भरण-पोषण याचिका अस्वीकृत हो
- अपील: मजिस्ट्रेट के आदेश के विरुद्ध
Revision Petition
जिला न्यायालय/उच्च न्यायालय में - सिविल केस: Matrimonial Act (HMA, SMA) के तहत maintenance का दावा
- DV Act: घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत अलग से maintenance
- Article 226: यदि natural justice का उल्लंघन हो, तो हाईकोर्ट में Writ
9. निष्कर्ष व सुझाव
CrPC धारा 125 का मूल उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया द्वारा असहाय व्यक्तियों को त्वरित भरण-पोषण प्रदान करना है। वर्षों से कोर्ट ने इसे एक सामाजिक सुरक्षा साधन के रूप में स्वीकारा है। लेकिन समय के साथ कुछ सुधार आवश्यक हैं:
- Maintenance की राशि निर्धारण हेतु एक राष्ट्रीय दिशा-निर्देश (Guideline Table)
- Adultery के प्रमाण हेतु डिजिटल साक्ष्य के मानक तय करना
- लिव-इन संबंधों की स्थिति को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना
- निर्धन पुरुषों के लिए भी न्यायसंगत प्रावधान
– Justice D.Y. Chandrachud (observed in 2020 Maintenance Guidelines case)
10. संक्षेप सारणी (Summary Table)
अध्याय | विवरण |
---|---|
भाग 1 | परिचय, पात्रता, सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्णय |
भाग 2 | हाई कोर्ट निर्णय, व्यभिचार, Maintenance राशि |
भाग 3 | केस स्टडीज़, वैकल्पिक उपाय, निष्कर्ष और सुझाव |