Criminal Second Appeal

 क्रिमिनल द्वितीय अपील (Criminal Second Appeal)

क्रिमिनल द्वितीय अपील एक आपराधिक न्याय प्रक्रिया है, जिसके तहत एक पक्ष किसी आपराधिक मामले में पहले अपील (First Appeal) के बाद भी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में पुनः न्याय की मांग कर सकता है। इसका उद्देश्य न्याय प्रक्रिया में सुधार करना और किसी प्रकार की न्यायिक त्रुटि को ठीक करना है।

द्वितीय अपील से संबंधित मुख्य प्रावधान

1. भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code, 1973)

द्वितीय अपील से संबंधित कोई विशेष धारा CrPC में स्पष्ट रूप से नहीं दी गई है। लेकिन अपील और पुनरीक्षण के सामान्य प्रावधानों के तहत इसे उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में दायर किया जा सकता है।

2. भारतीय संविधान

  • अनुच्छेद 134 (Article 134):
    • यह अनुच्छेद गंभीर आपराधिक मामलों में सर्वोच्च न्यायालय में अपील का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद 136 (Article 136):
    • इस अनुच्छेद के तहत "विशेष अनुमति याचिका" (Special Leave Petition, SLP) दायर कर द्वितीय अपील की अनुमति ली जा सकती है।

3. धारा 374 (Section 374)

  • आपराधिक मामलों में पहले अपील का अधिकार दिया गया है। अगर उच्च न्यायालय के फैसले से असंतोष हो, तो द्वितीय अपील सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।

4. धारा 397 और 401 (Sections 397 and 401)

  • निचली अदालत के आदेशों की समीक्षा (Revision) और द्वितीय अपील के लिए आधार तैयार कर सकते हैं।

5. धारा 384-394 (Sections 384-394)

  • इन धाराओं में आपराधिक मामलों में अपील की प्रक्रिया और न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उल्लेख है।

द्वितीय अपील कब दायर की जा सकती है?

द्वितीय अपील तभी दायर की जाती है जब:

  1. महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न (Substantial Question of Law):
    • यदि मामले में कोई गंभीर कानूनी त्रुटि हो जो न्याय को प्रभावित कर रही हो।
  2. पहले अपील में त्रुटि:
    • पहले अपील में न्यायालय द्वारा उचित न्याय नहीं हुआ हो।
  3. सजा में असमानता:
    • दोषसिद्धि या सजा का निर्धारण अनुचित या कानून के विरुद्ध हो।
  4. अन्याय की संभावना:
    • ऐसा प्रतीत हो कि न्यायिक त्रुटि या अन्याय हुआ है।
  5. उच्च न्यायालय का आदेश:
    • यदि उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश से कोई पक्ष असंतुष्ट है, तो द्वितीय अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।

द्वितीय अपील की प्रक्रिया

  1. याचिका तैयार करें:

    • याचिका में यह स्पष्ट करें कि पहले अपील में क्या त्रुटियां थीं और न्यायालय के आदेश पर पुनर्विचार क्यों आवश्यक है।
    • आदेश की कॉपी और अन्य दस्तावेज संलग्न करें।
  2. संबंधित न्यायालय में दायर करें:

    • यदि पहला अपील उच्च न्यायालय में था, तो द्वितीय अपील सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।
  3. विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition, SLP):

    • सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करने से पहले SLP के माध्यम से अनुमति प्राप्त करनी होती है।
  4. सुनवाई:

    • न्यायालय याचिका का निरीक्षण करेगा और निचली अदालत के आदेश की समीक्षा करेगा।
  5. फैसला:

    • न्यायालय द्वितीय अपील के आधार पर आदेश को संशोधित, रद्द या पुष्टि कर सकता है।

महत्वपूर्ण बातें

  1. द्वितीय अपील केवल विशेष मामलों में होती है:
    • यह सामान्य प्रक्रिया नहीं है और केवल गंभीर कानूनी त्रुटियों वाले मामलों में ही द्वितीय अपील की अनुमति मिलती है।
  2. नए सबूत पेश नहीं किए जा सकते:
    • द्वितीय अपील में केवल कानूनी और प्रक्रियात्मक मुद्दों पर चर्चा होती है।
  3. समय सीमा का पालन करना जरूरी है:
    • द्वितीय अपील दायर करने के लिए एक निश्चित समय सीमा होती है (आमतौर पर 90 दिन)।

द्वितीय अपील के उदाहरण

  1. सजा का मामला:
    • यदि उच्च न्यायालय ने सजा को अपर्याप्त माना और अभियोजन पक्ष द्वितीय अपील दायर करना चाहता है।
  2. दोषसिद्धि:
    • यदि दोषी व्यक्ति को लगता है कि उसके खिलाफ न्यायालय का निर्णय कानूनी आधार पर त्रुटिपूर्ण है।
  3. महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न:
    • जब मामले में कानूनी मुद्दे इतने महत्वपूर्ण हों कि सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप आवश्यक हो।

निष्कर्ष

क्रिमिनल द्वितीय अपील का उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रक्रिया में यह सुनिश्चित करना है कि न्यायिक त्रुटियां ठीक की जा सकें और न्याय का पालन हो। यदि आप द्वितीय अपील दायर करना चाहते हैं, तो किसी अनुभवी वकील की सहायता लें ताकि आपकी याचिका सही तरीके से प्रस्तुत की जा सके।

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