क्रिमिनल रिवीजन (Criminal Revision) क्या है
क्रिमिनल रिवीजन भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code, 1973) के तहत एक कानूनी प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य निचली अदालत के फैसले, आदेश, या कार्यवाही की वैधता की समीक्षा (Review) करना है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब किसी पक्ष को लगता है कि निचली अदालत ने कानून का पालन नहीं किया है, या गंभीर त्रुटि (error) हुई है जिससे न्याय प्रभावित हो सकता है।
क्रिमिनल रिवीजन से संबंधित मुख्य प्रावधान
1. धारा 397 (Section 397)
- पुनरीक्षण का अधिकार: इस धारा के तहत उच्च न्यायालय (High Court) या सत्र न्यायालय (Sessions Court) के पास अधिकार है कि वह निचली अदालत की कार्यवाही, आदेश, या निर्णय की समीक्षा करे।
- रिवीजन किसके लिए किया जा सकता है:
- आदेश जिसमें न्याय का गंभीर उल्लंघन हो।
- अदालती कार्यवाही में कोई असमानता या त्रुटि हो।
2. धारा 398 (Section 398)
- आदेशों को संशोधित या समाप्त करना: यह धारा न्यायालय को यह शक्ति देती है कि वह निचली अदालत के आदेशों को संशोधित (Modify) या रद्द (Cancel) कर सके।
3. धारा 399 (Section 399)
- सत्र न्यायालय द्वारा रिवीजन: सत्र न्यायालय के पास भी रिवीजन का अधिकार होता है। सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए रिवीजन आदेश का प्रभाव वही होता है जो उच्च न्यायालय के आदेश का होता है।
4. धारा 401 (Section 401)
- उच्च न्यायालय द्वारा रिवीजन: उच्च न्यायालय के पास अधिकार है कि वह निचली अदालत द्वारा दिए गए किसी भी आदेश या निर्णय की समीक्षा कर सके। उच्च न्यायालय किसी भी ऐसे मामले में हस्तक्षेप कर सकता है जिसमें न्याय का उल्लंघन हो रहा हो।
5. धारा 403 (Section 403)
- न्यायालय का विवेक: यह धारा बताती है कि रिवीजन अदालत को मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार देती है लेकिन यह पूर्ण रूप से न्यायालय के विवेकाधिकार पर निर्भर है।
क्रिमिनल रिवीजन दायर करने का उद्देश्य
- निचली अदालत के फैसले में की गई प्रक्रियात्मक या कानूनी त्रुटियों को सुधारना।
- यह सुनिश्चित करना कि न्यायालय के आदेश सही और कानून के अनुसार हों।
- किसी अन्याय को रोकने के लिए न्यायालय का हस्तक्षेप।
क्रिमिनल रिवीजन कब दायर की जा सकती है?
- फैसले में स्पष्ट त्रुटि: यदि निचली अदालत ने स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन किया हो।
- गैर-कानूनी आदेश: कोई ऐसा आदेश जिसे देने का अधिकार निचली अदालत के पास न हो।
- कार्यवाही में त्रुटि: यदि अदालत की कार्यवाही में गंभीर प्रक्रियात्मक त्रुटि हो।
- सजा की गंभीरता: जब सजा अनुचित या गैर-कानूनी हो।
- जमानत के मामलों में: यदि जमानत देने या न देने में कोई त्रुटि हो।
क्रिमिनल रिवीजन दायर करने की प्रक्रिया
-
रिवीजन याचिका तैयार करें:
- याचिका में स्पष्ट रूप से बताएं कि किस आधार पर निचली अदालत का आदेश गलत है।
- आदेश की कॉपी और सभी आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें।
-
समय सीमा का पालन करें:
- रिवीजन याचिका दायर करने की एक समय सीमा होती है (आमतौर पर 90 दिन)।
-
संबंधित न्यायालय में दायर करें:
- यदि निचली अदालत का आदेश सत्र न्यायालय का है, तो रिवीजन उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।
- यदि आदेश मजिस्ट्रेट का है, तो रिवीजन सत्र न्यायालय में दायर की जा सकती है।
-
रिवीजन सुनवाई:
- न्यायालय याचिका का निरीक्षण करेगा और यदि आवश्यक समझा, तो आदेश में संशोधन या सुधार करेगा।
महत्वपूर्ण बातें
- नए सबूत पेश नहीं किए जा सकते: क्रिमिनल रिवीजन में नए साक्ष्य या सबूत नहीं पेश किए जा सकते। यह केवल निचली अदालत की प्रक्रिया और आदेशों की समीक्षा है।
- अपील और रिवीजन में अंतर: रिवीजन और अपील में मुख्य अंतर यह है कि अपील में फैसले की पुन: सुनवाई होती है जबकि रिवीजन केवल न्यायिक प्रक्रिया की जांच है।
- अंतिम निर्णय: रिवीजन का निर्णय न्यायालय का अंतिम निर्णय होता है।
उदाहरण
- गलत सजा का मामला: यदि मजिस्ट्रेट ने किसी व्यक्ति को गलत तरीके से अधिक सजा सुनाई हो।
- जमानत पर रिवीजन: यदि मजिस्ट्रेट ने जमानत के मामले में कानून के विपरीत आदेश दिया हो।
- गैर-कानूनी आदेश: जब मजिस्ट्रेट किसी ऐसे मामले में आदेश पारित करता है, जिस पर उसे अधिकार नहीं है।
निष्कर्ष
क्रिमिनल रिवीजन का मुख्य उद्देश्य निचली अदालत की न्यायिक प्रक्रिया की त्रुटियों को सुधारना है। यदि आपको लगता है कि किसी मामले में न्यायिक त्रुटि हुई है, तो आप अनुभवी वकील की मदद से रिवीजन दायर कर सकते हैं।