Estoppel
एक कानूनी सिद्धांत है जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई व्यक्ति ऐसा दावा नहीं कर सकता जो उसके पहले के कार्य, कथन, या व्यवहार के विपरीत हो। इसे हिंदी में "प्रतिषेध" या "रोध" कहा जा सकता है। यह न्याय और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है, ताकि कोई व्यक्ति अपने लाभ के लिए विरोधाभासी स्थिति न अपना सके।
Estoppel के प्रकार:
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Promissory Estoppel (प्रतिज्ञात्मक प्रतिषेध): यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे को कोई वादा करता है और दूसरा व्यक्ति उस वादे पर विश्वास करके कुछ कार्रवाई करता है, तो वादा करने वाला उस वादे से पीछे नहीं हट सकता।
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Estoppel by Representation (प्रतिनिधित्व द्वारा प्रतिषेध): यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को एक झूठी जानकारी देता है और दूसरा व्यक्ति उस पर भरोसा करके कार्रवाई करता है, तो पहली पार्टी झूठ से इनकार नहीं कर सकती।
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Estoppel by Conduct (आचरण द्वारा प्रतिषेध): जब किसी का व्यवहार या कार्रवाई दूसरे को प्रभावित करती है, तो वह व्यक्ति बाद में उस व्यवहार के विपरीत दावा नहीं कर सकता।
Civil Suit में Estoppel का Role:
सिविल मामलों में, Estoppel का उपयोग न्यायालय में उन स्थितियों को रोकने के लिए किया जाता है जहां:
- कोई पक्ष अपने पिछले कथन, वादे, या व्यवहार के विपरीत दावा करता है।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि विवाद में एक पक्ष की अनुचित लाभ उठाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए।
उदाहरण:
मान लीजिए कि:
- पक्ष A ने पक्ष B को एक संपत्ति बेचने का वादा किया और B ने उस वादे पर भरोसा करके संपत्ति पर खर्च किया।
- बाद में, A ने कहा कि वह संपत्ति नहीं बेचेगा। इस मामले में, Promissory Estoppel लागू होगा, और A को वादा निभाने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
कानूनी धाराएं:
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 115 Estoppel से संबंधित है। यह बताती है कि यदि किसी ने अपने कथन या कार्य से दूसरे व्यक्ति को प्रभावित किया है, तो वह बाद में उस कथन या कार्य के विपरीत कुछ नहीं कह सकता।
निष्कर्ष:
Civil Suit में Estoppel का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी पक्ष को न्यायालय में अनुचित लाभ उठाने से रोका जाए और मामले का निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित किया जाए।